परिवारवादी समाजवादी पार्टी का विवाद
चुनावों को लोकतंत्र का उत्सव यूं ही नहीं कहा जाता है। अब जहां उत्सव होते हैं, वहां गहमागहमी भी होती है। मौजूदा समय में सबसे ज्यादा गहमागहमी समाजवादी परिवार में मची है। यदुवंशियों का यह कुनबा यूपी में विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर बिखर रहा है। निकालना, बुलाना, बर्खास्तगी, ताजपोशी, मनाना, रूठना, टूटना, ऐंठना और जब तब रो पड़ना। क्या जनता को सरकार की विदाई की बेला में यही सब देखना था। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में कुछ ही महीने बचे हैं। यूपी के वोटरों ने बड़े हहक के साथ अखिलेश के हक में वोट उड़ेल दिया था। अखिलेश यादव ने कम से कम अपने आचरण में तो वोटरों की उम्मीद की लौ को जलाए रखा। अब अखिलेश की कोशिश थी कि वो पांच साल का अपना रिपोर्ट कार्ड दिखाकर जनता से फिर अगले पांच साल मांगें, लेकिन पारिवारिक खुन्नस और स्वार्थों के टकराव ने उनके किए कराए पर पानी फेर दिया।

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