मिथकों से मुकाबिल राजधानी लखनऊ की दहलीज
पढ़िये- बाराबंकी की ग्राउंड रिपोर्ट
बाराबंकी...राम नगरी अयोध्या और लक्ष्मण नगरी लखनऊ का सेतु। प्रदेश की राजधानी से निकटता इतनी कि बाराबंकी के लोग जब लखनऊ के लिए निकलते हैं तो मन में आंगन से निकल दहलीज पर पहुंचने के भाव होते हैं। इस भूमि ने राजनीतिक आकाश पर कई सितारे टांके हैं। रक्षा मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री रह चुके धुर समाजवादी बेनी प्रसाद वर्मा समेत बहुसंख्य नाम हैं। खुमार बाराबंकवी का जिला इस समय चुनावी खुमारी में है
और निगाह उन मिथकों पर है जो यहां की राजनीति से जुड़े हुए हैं। यहां की नब्ज टटोल रहे हैं उप समाचार संपादक पवन तिवारी-
'तीनौ पाल्टी लड़ि रहीं। एत्तै समझ ल्यो आप।' तत्काल छनी पकौड़ी की गर्म भाप को सांस से ठंडी करने के संघर्ष के बीच दादा राम मिलन ने हमको एक पंक्ति में चुनावी हाल सुनाया। अगला सवाल - 'अभी जो सरकार है, उससे खुश हैं?' जवाब में कोई कोताही नहीं - 'खुस तौ हन। मुला हम तौ हाथी वाले हन। अउर कहां गिनन जइबै।' आशय यह कि दलित हैं तो बसपा में ही गिने जाएंगे। दादा के माथे की झुर्रियां उनके सत्तर पार होने की गवाही दे रही थीं। वे बाराबंकी के जैदपुर विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं।
खरमिटाव का समय है। स्थानीय भाषा में सुबह के नाश्ते को खरमिटाव ही कहते है। नाश्ता यानी गले की खराश भर मिटी। अहमदपुर टोल प्लाजा के पास वाले ढाबे पर हलचल है। कड़ाहे में सुनहरी हो चुकी पकौड़ी की एक घान छनकर दोने में परोसी जा चुकी है और इसके साथ ही बातों का सिलसिला भी लंबा होता जा रहा है-'हमाय बाति नोट करौ..मोदी-योगी न होते करोना मइहां गरीब आदिमी भूखन मरि जात।' ललाट पर तिलक। शिखा बंधी हुई। नाम- चंद्रमा बख्श शुक्ल। अपनी बातें पूरी मजबूती से समझाते हैं शुक्ल। सरकार की उपलब्धियां एक सांस में गिना डालते हैं। बताते हैं कि दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले है।
दरियाबाद क्षेत्र के ही प्रमोद कुमार अबकी चौथी बार अपना वोट डालेंगे। कहते हैं कि कोई खुलकर नहीं बोलेगा। लेकिन, मन में सबके यही है कि सरकार ने सुख-दुख और जरूरतों का ख्याल रखा। ढाबे से उठकर हम पड़ोस के उधौली बाजार पहुंचे। युवा सूर्यकांत मिश्र अपनी बात कहने को बेचैन दिखे। इस प्रयास में वे ताजा-ताजा खाए गुुटखे से अपना मुंह भी खाली कर चुके। बोले: कोरोना फैला था तो कोई दिखा नहीं। अब सब वोट मांगने आ रहे। परिवारवाद, घरवाद के अलावा किसी के पास कुछ नहीं। इसी बाजार में बिसातखाना खोल ग्राहक का इंतजार कर रहे रामबाबू गुप्ता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर बाबा कहने पर विपक्षी दलों से नाराज हैं। कहते हैं- बुलडोजर बाबा इन लोगों की पार्टी को भी ढहा देंगे।
रामसनेही घाट का भिटरिया चौराहा। सामने सिद्ध हनुमानगढ़ी पर श्रद्धालुओं की कतार है। कोने की चाय-नाश्ते-मिठाई की दुकान पर लोग-बाग जमा हैं। बड़े उत्साही लोग हैं। चुनाव को ओढ़-बिछा रहे हैं। वयोवृद्ध मंशाराम के सिर पर केसरिया टोपी है। यह टोपी क्यों लगाई है दादा? बड़ी ऐंठ में बोले-काहें। हम तौ जनसंघ से सुरू से जुड़ा रहेन। सन 1948 से वोट डारि रहेन। 48 से? पहला चुनाव तो 1951-52 में हुआ था। इस पर वे अटके नहीं। बोले-अरे, परधानी कै चुनाव भवा रहा। बुधवार को इसी बाजार के पास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा तय थी। रामसनेही घाट वालों के लिए यह बड़े गर्व का विषय था। राम अनुग्रह प्रसन्नता व्यक्त करते हैं- हम सत्तर साल के हो गए-आज तक हमारे यहां कोई प्रधानमंत्री नहीं आया। रामसनेही बाबा की कृपा से मोदी जी यहां आ रहे।
तहसील रामसनेही घाट की कचहरी। स्टेशनरी की दुकान पर बड़ी रोचक बहस चल रही। दुकान स्वामी जय प्रकाश तिवारी की व्यवहार कुशल और मुखर हैं। कहते हैं सरकार ने कोरोना में कोई समस्या नहीं होने दी तो वैसा ही काम बेसहारा पशुओं की समस्या दूर करने में क्यों नहीं किया। उनकी बात आगे बढ़ाते हैं- मायाराम यादव।-गोवंश के लिए जो आश्रय स्थल हैं, वहां दिन में तो जानवर रख लिए जाते हैं, रात में फिर छोड़ दिए जाते हैं।
युवा राहुल शुक्ल दर्द बयां करते हैं-सरकार ने कोई कमी नहीं की है, लेकिन निचले स्तर पर उसके अमल पर और ध्यान देना होगा। धान खरीद की वेबसाइट तो है, लेकिन ऐन मौके पर ब्लाक हो जाती है। भिटरिया चौराहे पर फल की रेहड़ी लगाने वाले रहमतउल्ला को प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के बारे में कुछ मालूम नहीं। कहते हैैं कि बात तो यह अच्छी है साहब, लेकिन हम जान ही नहीं सके। रामनगर विधानसभा क्षेत्र के मथुराबाजार में किराना दुकान चला रहे अहमद कहते हैं-एक काम सरकार ने बहुत अच्छा किया कि चोरी-छिनैती, वसूली बंद है।
बाराबंकी : कुछ रोचक बातें
कुल छह विधानसभा सीटें हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा ने पांच तो सपा ने एक सीट हासिल की। हालांकि इस बीच उप चुनाव में भाजपा जैदपुर की अपनी एक सीट गंवा बैठी। यहां से भाजपा के विधायक उपेंद्र सिंह ने 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए। उनके इस्तीफे के बाद खाली जैदपुर सीट पर उप चुनाव में सपा के गौरव कुमार ने जीत हासिल की। इस तरह अब यहां भाजपा के चार और सपा के दो विधायक हैं।
तीन सीटें हाई-प्रोफाइल हैं। दरियाबाद, कुर्सी और रामनगर। दरियाबाद से पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप सपा से मैदान में हैं। भाजपा विधायक सतीश शर्मा ने पिछले चुनाव में छह बार के विधायक व पूर्व मंत्री राजीव कुमार सिंह को 50 हजार से ज्यादा वोटों से पराजित किया था। यह जिले की सबसे बड़ी जीत थी। दूसरी चर्चित सीट कुर्सी से बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। तीसरी सीट रामनगर है, जहां पूर्व मंत्री फरीद महफूज किदवई सपा से और भाजपा से शरद अवस्थी मैदान में हैं।
क्या टूटेंगे मिथक : रामनगर के बारे में कहा जाता है कि साल 1985 के बाद से यहां से कभी कोई दोबारा चुनाव नहीं जीता। एक मिथक और था कि रनर ही यहां विनर होते हैं। इसे भाजपा के शरद अवस्थी ने तोड़ दिया। वह 2017 में यहां से विधायक तो बने, लेकिन 2012 के चुनाव में रनर नहीं थे। रनर थे-बसपा के अमरेश कुमार।
इसी तरह सदर सीट से जुड़ा भी एक दिलचस्प तथ्य है- यहां से भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत सकी। बाकी सीटों पर भी ऐसे ही रोचक मुकाबले चल रहे हैं। देखना होगा कि इस बार ये मिथक टूटते हैं कि नहीं।