चुनावी हलचल : शार्टनोट
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मंत्री स्वामी प्रसाद का भाजपा से मोह भंग
विधानसभा चुनाव से की हलचल शुरू ही हुई थी कि मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़ दी। वह कह रहे हैं कि पार्टी में दलित व पिछड़ों की उपेक्षा हो रही।
दिन में उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की और बाद में त्यागपत्र दे दिया। प्रतापगढ़ निवासी स्वामी प्रसाद मौर्य श्रम एवं सेवायोजन मंत्री का पद संभाल रहे थे, जबकि उनकी बेटी डा. संघमित्रा मौर्य भाजपा से ही बदायूं की सांसद हैं।
इस बीच कानपुर के बिल्हौर और बांदा की तिंदवारी सीट से भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने भी इस्तीफा दे दिया। रोशन लाल सहित तीनों ही विधायक मौर्य खेमे के हैं और बसपा से उनके साथ ही भाजपा में आए थे।
स्वामी प्रसाद ने अभी कहा है कि वह दो-तीन दिन में कार्यकर्ता और समर्थकों से विचार-विमर्श के बाद स्पष्ट करेंगे कि किस पार्टी में जाना है, लेकिन घटनाक्रम के साफ संकेत हैं कि वह चारों ही सपा में जाएंगे
बेटी संघमित्रा की आस्था भाजपा में कायम
कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से भाजपा सांसद हैं। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा की सांसद हूं और इसी पार्टी में रहूंगी। संगठन के निर्देशानुसार लोगों की सेवा करती रहूंगी।
कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से भाजपा सांसद हैं। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा की सांसद हूं और इसी पार्टी में रहूंगी। संगठन के निर्देशानुसार लोगों की सेवा करती रहूंगी।
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पांचों राज्यों का चुनाव संभालना है, खुद चुनाव नहीं लड़ेंगी मायावती
बसपा प्रमुख मायावती इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरने जा रही वह इस समय किसी भी सदन की सदस्य नहीं हैं। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र भी चुनाव नहीं लड़ेंगे।
मिश्र ने साफ किया कि बसपा प्रमुख मायावती को दूसरे राज्यों में हो रहे चुनाव को भी देखना है। व्यस्ततता के कारण वे और बसपा प्रमुख चुनाव नहीं लड़ेंगे। मिश्र ने कहा कि मायावती की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सहित पांचों राज्यों में पार्टी का चुनावी अभियान चलेगा।
वर्ष 2007 में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाली मायावती चुनाव मैदान में नहीं उतरी थी। इसी तरह वर्ष 2012 में अखिलेश यादव भी विधानसभा का सदस्य बने बिना मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ भी विधानसभा का चुनाव लड़े बिना ही मुख्यमंत्री बने थे। सभी उच्च सदन यानि विधान परिषद के सदस्य बन कर पांच वर्ष तक मुख्यमंत्री बने रहे।
बसपा प्रमुख मायावती इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरने जा रही वह इस समय किसी भी सदन की सदस्य नहीं हैं। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र भी चुनाव नहीं लड़ेंगे।
मिश्र ने साफ किया कि बसपा प्रमुख मायावती को दूसरे राज्यों में हो रहे चुनाव को भी देखना है। व्यस्ततता के कारण वे और बसपा प्रमुख चुनाव नहीं लड़ेंगे। मिश्र ने कहा कि मायावती की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सहित पांचों राज्यों में पार्टी का चुनावी अभियान चलेगा।
वर्ष 2007 में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाली मायावती चुनाव मैदान में नहीं उतरी थी। इसी तरह वर्ष 2012 में अखिलेश यादव भी विधानसभा का सदस्य बने बिना मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ भी विधानसभा का चुनाव लड़े बिना ही मुख्यमंत्री बने थे। सभी उच्च सदन यानि विधान परिषद के सदस्य बन कर पांच वर्ष तक मुख्यमंत्री बने रहे।

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