रविवार, 28 अगस्त 2011

अब चुनाव सुधार के लिए बजे रणभेरी..

भ्रष्टाचार के खिलाफ फैसलाकुन जंग के बीच बुजुर्ग गांधीवादी नेता ने अब एक नई लड़ाई का ऐलान किया है। ये लड़ाई भी देश के लिए उतनी ही जरूरी है, जितनी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग। अन्ना ने मजबूत लोकपाल के लिए शुरू किया गया अपना अनशन रविवार को तोड़ते हुए कहा कि उनका अगला लक्ष्य अब राइट टु रिकॉल और राइट टु रिजेक्ट होगा। यानी जनता जनार्दन के हाथ में जनादेश देने की ताकत के साथ यह भी शक्ति होगी कि वह जीतने के बाद सत्ता के गलियारों का सुख भोग रहे निकम्मे नुमाइंदे को कान पकड़कर फिर धरती पर ला पटके। अभी क्या है वोट डालो और भूल जाओ। सांसद चुनो..विधायक चुनो अपने हक-हुकूक की लड़ाई लड़ने के लिए लेकिन झक सफेद कुरते में लिपटे नेता जी लग्जरी गाड़ी और शानो-शौकत के साथ दुनियादारी में मशगूल रहते है। ठेका, पट्टा, बड़ी-बड़ी डील। पांच साल खुला खेल फर्रूखाबादी।
न कोई पूछने वाले न कोई जांचने वाला। राइट टु रिकॉल यानी जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार मिलने पर अहसास होगा जनता की असली ताकत का। फिर एमएलए और एमपी साहब को अपनी कोठी से निकल गांव-गिरांव और मेढ़-पगडंडी के लिए वक्त निकालना ही होगा।
अन्ना चुनाव सुधार के लिए भी लड़ेंगे। नितांत जरूरी है यह भी। लोकतंत्र के चेहरे को कैसे बदनुमा बना दिया है इन नेताओं ने। कहते हैं अन्ना संसदीय परंपराओं को तोड़ रहे हैं। पर क्या कोई राजनेता इस पर बोलेगा कि मौजूदा लोकसभा के ५४३ सदस्यों में १५३ माननीय साहबान ऐसे है जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमें पेंडिंग हैं। मजे की बात तो यह है कि इनमें से नौ मंत्री जी भी हैं। यानी एक तिहाई सांसद दागदार हैं जिन्हें कानून बनाना है और देश चलाना है। यह आंकड़ा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉमर्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वाच (न्यू) नामक दो एनजीओ ने जारी किए थे।
खास बात तो यह कि दागी सांसदों का यह आंकड़ा पिछली लोकसभा के मुकाबले घटा नहीं, बल्कि और चढ़ गया है। पिछली लोकसभा में १२८ सदस्य आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे तो इस बार ये १५३ हो गया है। सांसदों ने खुद अपने हलफनामे में यह जानकारी दी है।

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

लो..बंटने लगे‍ इलेक्शन एक्सप्रेस के टिकट


केंद्र की सत्ता में दो कार्यकाल से जमी कांग्रेस की निगाह अब यूपी के सियासी किले पर है। संगठन में नई जान फूंकने की राहुल गांधी की कवायद और गांव की पगडंडी स्तर तक सिपाही तैयार करने की उनकी कोशिश के बीच चुनाव की घड़ी भी नजदीक आ गई है। कांग्रेस ने यूपी के लिए सोमवार को उम्मीदवारों की अपनी पहली फेहरिस्त पेश कर दी है। इनमें ७३ उम्मीदवारों के नाम हैं।
पहली सूची मिली-जुली है। एक विधायक को छोड़कर बाकी सभी सिटिंग विधायकों का टिकट महफूज रखा गया है। तीन बड़े नेताओं की पत्नियों को भी चुनावी अखाड़े में उतारा गया है। इनमें बरेली से सांसद प्रवीण सिंह ऐरन की बीवी सुप्रिया ऐरन, केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की बीवी लुइस खुर्शीद और सुलतानपुर के सांसद संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह शामिल हैं।
पहली फेहरिस्त में ज्यादातर कद्दावर नेताओं के नाम हैं। पार्टी की प्रदेश मुखिया रीता बहुगुणा जोशी को लखनऊ कैंट से टिकट दिया गया है। वे पिछला लोकसभा चुनाव लखनऊ सीट से हार गई थीं, लेकिन कैंट इलाके से उन्हें तकरीबन छह हजार वोटों की बढ़त मिली थी। उन्हें इसी आधार पर यहां से उतारा गया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि केवल उन्हीं दावेदारों को टिकट दिया गया है जिनकी जीत की संभावनाएं बेहद ज्यादा हैं।
इसके अलावा पिछले तीन दशक से प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से एक छत्र राज्य कर रहे प्रमोद तिवारी फिर यहीं से चुनाव लड़ेंगे।
विधानसभा चुनाव वैसे तो मई २०१२ में होने हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने फरवरी में ही इसे कराने के संकेत दिए हैं। पार्टी के ही भीतर के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इतने अग्रिम तौर पर टिकट की सूची जारी करने के मूड में नहीं थी, लेकिन बसपा की सूची आने के बाद उसे भी अपनी लिस्ट जारी करनी पड़ी। समाजवादी पार्टी ने भी कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है।

शनिवार, 20 अगस्त 2011

उत्तर प्रदेश विधानसभा पर एक नजर


मौजूदा समय में यूपी विधानसभा में कुल ४०४ सदस्य हैं। इनमें एक एंग्लो इंडियन सदस्य भी शामिल है जिसे माननीय राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं। १९६७ तक इसमें ४३१ सदस्य होते थे। परिसीमन आयोग ने इसे ४२६ कर दिया और नवंबर २००० में जब उत्तराखंड असि्तत्व में आया तो इसमें ४०४ सीटें ही रह गईं।
आजादी से पहले एक अप्रैल १९३७ को इसका गठन हुआ था। पहले स्पीकर कौन थे?...श्री पुरुषोत्तम दास टंडन और डिप्टी स्पीकर श्री अब्दुल हकीम साहब थे। मौजूदा समय में श्री सुखदेव राजभऱ स्पीकर हैं। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं गोविंद वल्लभ पंत थे। वे १५ अगस्त १९४७ से २८ दिसंबर १९५४ तक सीएम रहे।
२००७ में हुए चुनाव के बाद जनता ने बहुजन समाज पार्टी के हक में फैसला सुनाया और सुश्री मायावती ने प्रदेश की सत्ता की बागडोर संभाली।
दलीय स्थिति इस प्रकार हैः
बसपा-२०६ सीटें
सपा- ९७
भाजपा- ५१
कांग्रेस -२२
रालोद-१०
राष्ट्रीय परिवर्तन दल-२
अभा लोकां- १
जदयू- १
निर्दलीय व अन्य-१३